रात का पहरा
जब रात की चौखट पे चाँद का पहरा होगा।
ऐ सनम आँख में तब ख्वाब सुनहरा होगा।
क्यूँ हया आई है चेहरे पे ,परेशाँ क्यूँ हो
मिलन से ही ये रिशता ,और गहरा होगा।
खूबसूरती चाँद की आज कुछ नुमाया है
लगता है रात को तेरी छत पे वो ठहरा होगा।
मयूर नाच उठे,घटायें देख तेरी जुल्फों की
कोई न माने ,धरा पे कही कोई सहरा होगा।
बस एक फरियाद मेरे दिल की न सुन पाये
कोई माने न कि ये हुस्न भी बहरा होगा।
सुरिंदर कौर