*राजा गए रानी गई (हिंदी गजल/गीतिका )*
राजा गए रानी गई (हिंदी गजल/गीतिका )
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(1)
राजा गए रानी गई, उनकी गई मुस्कान है
उनकी रियासत छिन गई, उनकी कहाँ अब शान है
(2)
सब राजमहलों के भवन हैं, पाँच-तारा से बड़े
यों भूतपूर्वों के लिए, पर्याप्त एक मकान है
(3)
अब बेटे – पोतों को बताते हैं पुरानी दास्ताँ
इतिहास में करती चहलकदमी अभी भी जान है
(4)
शौक राजाओं के खर्चे राजसी किसको पता
जनता नवाबी के अभी इस पक्ष से अनजान है
(5)
भ्रष्ट जो नेता है अब, जनतंत्र के इस दौर में
राजा-नवाबों की रियासत से अधिक धनवान है
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रचयिता : रविप्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 7615 451