राजाराम मोहन राय
नानी आज कोई कहानी सुनाओ,
जिसमे में राजा आए,
और नाहि रानी की बीती बताओं,
नानी जरा मुस्कुराकर कह दो,
गाथा वीर भरी |
एक नारी समाज के रूढ़ि से डरी,
देख आए जब प्यारे मोहन लाल,
बालक को ना जाने, क्यों गुस्सा आया उस साल ?
जिस वक़्त भाभी, थी आग में बैठी थी,
भैया थे तब, परलोक सुधार,
बता दो लोगो, तुमने बना दिए कौन से नियम-सार,
ईश्वर की संतान, बनकर बैठ गए है, शैतान !
ख़त्म करो, यह सती-प्रथा,
जागो मिट्टी की मुहूर्त या
जगा दो! उस भारत की फिर एक वीर कथा,
आज भी तन का एक-एक लहू का कतरा,
कहता! रहना तैयार सदा तुम नारी,
न सहना खतरा,
सारा जन, तुम्हे करते है, आज नमन !
इस धरती की दामन थामकर सो गए मोहन,
यूँही लेते रहना, सदा तुम जनम,
करता हूँ, मैं पुनः कोटि-कोटि नमन |
-ऋषि के.सी.