राजनेता और लोग//जनता सवाल पूछती है,
जनता सवाल पूछती है,
पार्टियां जवाब नहीं देती,
क्यों रोंदते हो हमें !
तुम तो
हमारे अपने हो !
हर पाँच साल में याद दिलाने आते हो,
हमें भी तो भूख लगती है,
पगार अपनी बढ़ाने बैठे हो,
हम पर दुनियाभर के टैक्स,
खुद कर-मुक्त सौदा करते हो,
कहाँ है तुम्हारे ?
वो तुम्हारे चिट्ठे..
घोषणा-पत्र जिसे कहते हो ?
सवा सौ संशोधन किए तुमने,
क्यों लोकतंत्र की मजाक उड़ाते हो ?
करो ? एक और संशोधन इस पर,
गर काम नहीं हुआ घोषणा-पत्र पर,
नहीं शक्ल दिखाने आओगे,
.
प्रारूप भीम का याद करो,
हर अध्याय हर अनुच्छेद हर धारा,
सोच समझ प्रयोग करो,
.
गर सेवक हो,
मत हिंदू-मुस्लिम में भेद करो,
जाति वर्ण के भेद दूर करो और,
फिर देश को आरक्षण मुक्त करो,
.
बाबा साहब ने गुलाम और आजाद भारत को देख संविदा को …प्रारूप दिया,
इतना लचीला इतना प्यारा संविधान दिया जिसको विश्व ने सम्मान दिया,
.
हम जनता हैं,हम वोटर है,
*हम भीड़ हैं,
हमारी न शक्ल, न सूरत,
हम जिस पर फिदा हो जाएं,
फिर कौन अंधा, कौन सुहाखा*
जिनके खिलाफ खड़े हो जाएं सर्वनाश,
.
संविधान की प्रथम पंक्तियाँ;-
डॉ महेंद्र सिंह बखान करो,