राजनीति
लोग न जाने क्या क्या कहते है!
वो नेक है जो सब कुछ सहते है!!
हम उन लोगो से कुछ अलग है!
मन मर्जी के मालिक ही रहते है!!
वो भी क्या इन्सान जो लोगो से
डर कर पल पल बदलते रहते है!!
ऐसे लोगो को क्या ज़माना माने
जो गिरगिटसी रंग बदलते रहते है!!
नेता जो कभी आदर्श होते थे अब,
आदर्श नही ईमान बदलते रहते है!!
इसीलिए राजनीति की बलिहारी है,
गुडे मुस्टंडे संसद मे पलते रहते है!!
लाखो करोडो मे टिकट मिलती है,
कमाई करके भरपाई करते रहते है!!
अमृतकाल मे संकल्प लै संसद की,
शुद्धी करै, उनसे क्यू डरते रहते है?
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 ,नीरव निकुजं फेस-2,सिकंदरा,आगरा-282007
मो:9412443093