राजनीति
भारतीय राजनीति का भविष्य लिखनेवाले लोग आज सत्तांध गये हैं हो।
परम उच्छृखंल‚अराजक व युद्धोन्माद से पीड़ीत वाक्यों से सड़ांध गये हैं हो।
सिद्धान्तहीन होकर कर रहे हैं संसद से लेकर सड़क तक हाथापाई।
प््राजातंत्र के स्तंभ प्रजा को कर रहे हैं वितरित पूजा के पंचामृत सा मिथ्या की मिठाई।
वायदे यूँ ही नहीं‚कर रहे हैं कसमें खा खाकर कभी ना पूरने वाले वायदे।
विधान के विरूद्ध आचरण करके लगे हुए हैं निकालने में फायदे के फायदे।
हो रहे हैं हिंसा के जमात व भ्रष्टाचार के पोषक तत्त्व राजनीति के रखवाले।
हत्या‚बलात्कार‚अपहरण‚डकैती कम पड़ेंगे जितने लगाने हैं आरोप लगालें।
या तो ये करते हैं खुद‚नहीं तो होते हैं षडयंत्र के उज्जवल वस्त्रवाले संचालक।
हिन्दुस्तान में सफेद वर्ण से सजा क्या नहीं लेके आता हैै आतंक का आहटॐ
ठीके के दफ्तरों के हृदय में झाँकिये तो पायेंगे चेहरे पर उड़ती हवाईयों के सुगबुगाहट।
ठीके सत्ता से जुड़े या जोड़–तोड़ कर पा पानेवाले हेतु अलिखित–आरक्षित।
जिन्हें चुने जाने हेतु दिये जायेंगे आपको ‘आप्सन’ इनसे रहेंगे हरित व भरित
मुझे चुनना हो तो हम तो अपना प्रतिनिधि चुनेंगे‚अपने लिए नेता नहीं।
प्रतिनिधि का कर्म निर्धारित है मेरे लिए‚नेता आपको कभी कुछ देता नहीं।
नेता तो तुम्हारे सुबह शाम को करेगा निश्चय ही निःशंक निर्देशित।
दरअसल ये अधिकार दिलाने के नाम पर बनायेंगे आपको शोषित।
विधान बनाने वाले ने बनाये हैं अनगिनत नियम‚धारा व उपधारा।
कब–कब और कैसे–कैसे तोड़े गये हैं व बदले गये हैं नदी की धारा।
दस्तावेजी प्रमाणों से भरे पड़े हैं आपके ही लिए बनाये गये संदूक।
जिसे भेजा था आपने पूर्ववत्र्ती काल में वे उछालते रहे जैसे कि हों कन्दुक।
इन्हें रोकने हेतु करना है आपको दिये गये ‘आप्संस’ का उत्तम उपयोग।
यही हो सकता है प्रजातंत्र को जीवंत व बलवंत रखने का अच्छा सहयोग।
न उपदेश न संदेश न प्रायेजित कार्यकर्म न ही कोई प्रचार का तंत्र।
यह इतिहास आँखें खोलनेवाला साबित हो आप कल हो न जायें परतंत्र।
शुभकामनाओं से सदा शुभ होता रहे हमारा और आपका निराला प्रजातंत्र।
हर श्राप और अभिशाप से बिल्कुल रहे सुरक्षित यह अद्वितिय शासन–तंत्र।
प््राजातंत्र की स्थिरता ही राम–राज्य में बापू का परिकल्पित सुराज है।
आपका भविष्य कैसा हो यह तय करने का अवसर बस आज है।
हर हाल में प्रजातंत्र को बनाये रखने को कटिबद्ध होना हमें चाहिए।
क्योंकि हमेें गयी पीढ़ी के दुःख‚दर्द‚विवशता व लाचारी नहीं चाहिए।
—————————————————————-
अरूण कुमार प्रसाद‚ ग््रााम व पत्रालय – दिग्घी‚ जिला– जमुई‚ बिहार