राजनीति की गणित लगाकर
राजनीति की गणित लगाकर दोस्त बनाते हैं
और दोस्ती पर अपनी इतराते जाते हैं।
लालच में गैरों के पैरों में भी लोटेंगे
उल्लू सीधा होते ही कतराते जाते हैं।
जो रसूख़ बाले उनको भरपूर तबज्जो है
बाँकी सब दोयम दर्जे के रिश्ते नाते हैं।
हर दबंग है “दादा” उनसे रिश्तेदारी है
सहनशील इंसान की खातिर जूता लातें हैं।
बीच सभी के नुक्स बेझिझक जाहिर जो कर दें
ऐसे यारों को महफ़िल में नहीं बुलाते हैं।
संजय नारायण