Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Sep 2019 · 2 min read

राजनीति और संविधान

ये स्वाभिमान का रूप है या संविधान का नया स्वरूप है,
ये देशहित का क्षुपरूप है या राजनीति का अलग चित्तरूप है।

ये रात अमावस है या स्वाधिकार में तपती धूप है,
मां भारती के उस जवान के लिए क्यों पूरा देश चुप है।

हर चोट को चुप सहकर चुप हो जाना कायरता का सबूत है,
बार-2 धोखे खाकर भी हिम्मत दिखलाना राजनीति का ये कैसा रूप है।

देश बड़ा और धर्म में बंटा यही तो देश का असली कुरूप है,
विकासशील से विकसित भारत का देखो कितना अच्छा प्रतिरूप है।

ये स्वाभिमान का रूप है या संविधान का नया स्वरूप है,
तिरंगे के तीन रंग या उसके भी छल,कपट,लालच तीन त्रिरूप हैं।

आजादी जिस इंकलाब के नारे से आ जाती है
क्यों भगत सिंह की कुर्बानी बेकार हो जाती है,
फांसी पर लटके सेनानी की याद पुरानी हो जाती है
राजनीति फिर उस चन्द्रशेखर को आतंकी कह जाती है।

सूर्यकिरण भी इस धरा पे टकराने से बार-2 शर्मा जाती है
फिर से लहूलुहान घाटी भी बार-बार शर्मिंदा हो जाती है
देख के वर्तमान को आजाद की आंखें अश्रुपूरित हो जाती हैं
सिर्फ देशप्रेम में ही एक सैनिक को घर की याद कभी नहीं आती है।

बलिदानी शहीदों की भी हिम्मत जबाब दे जाती है
दो कौड़ी के नेता के द्वारा देश की अश्मिता बिक जाती है,
नोटों पे चिपके उस राष्ट्रपिता की भी बात जबाब दे जाती है
सपोली राजनीति के कारण एक अबला क्यों विधवा हो जाती है।

ये स्वाभिमान का रूप है या संविधान का नया स्वरूप है,
अनेकता में एकता का रूप है या खंडित होती अखण्डता का एक नया प्रतिरूप है।।

Language: Hindi
1 Like · 231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
Shweta Soni
भूख
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"सुनो जरा"
Dr. Kishan tandon kranti
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
देश के दुश्मन कहीं भी, साफ़ खुलते ही नहीं हैं
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दाग
दाग
Neeraj Agarwal
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
■
■ "हेल" में जाएं या "वेल" में। उनकी मर्ज़ी।।
*Author प्रणय प्रभात*
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
डिगरी नाहीं देखाएंगे
डिगरी नाहीं देखाएंगे
Shekhar Chandra Mitra
नफरतों को भी
नफरतों को भी
Dr fauzia Naseem shad
ओ माँ मेरी लाज रखो
ओ माँ मेरी लाज रखो
Basant Bhagawan Roy
4- हिन्दी दोहा बिषय- बालक
4- हिन्दी दोहा बिषय- बालक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
फ़साने
फ़साने
अखिलेश 'अखिल'
खूबसूरत है दुनियां _ आनंद इसका लेना है।
खूबसूरत है दुनियां _ आनंद इसका लेना है।
Rajesh vyas
मुहब्बत सचमें ही थी।
मुहब्बत सचमें ही थी।
Taj Mohammad
मै थक गया हु
मै थक गया हु
भरत कुमार सोलंकी
!! चमन का सिपाही !!
!! चमन का सिपाही !!
Chunnu Lal Gupta
ऐसा कहा जाता है कि
ऐसा कहा जाता है कि
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
लड़कियां क्रीम पाउडर लगाकर खुद तो गोरी हो जाएंगी
शेखर सिंह
गौरवपूर्ण पापबोध
गौरवपूर्ण पापबोध
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
19-कुछ भूली बिसरी यादों की
Ajay Kumar Vimal
2556.पूर्णिका
2556.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
शादी शुदा कुंवारा (हास्य व्यंग)
शादी शुदा कुंवारा (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
💐प्रेम कौतुक-522💐
💐प्रेम कौतुक-522💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रामभक्त हनुमान
रामभक्त हनुमान
Seema gupta,Alwar
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...