सत्ता की हवस वाले राजनीतिक दलों को हराकर मुद्दों पर समाज को जिताना होगा
जय जोहार
“चुनाव आते है चुनाव जाते है ,कभी कांग्रेस जीतती है कभी बीजेपी जीतती है लेकिन जल जंगल जमीन का असली हकदार ,धरती का मूलबीज मूलवंश मेरा भोला भाला आदिवासी समाज हर बार अपनी समस्याओं के साथ हार जाता है, आगे भी कांग्रेस जीतेगी बीजेपी हारेगी, कभी बीजेपी जीतेगी कांग्रेस हारेगी ,मैं पूछता हूं वो दिन कब आएगा जब मेरा आदिवासी समाज जीतेगा और आदिवासी समाज के दुख से कोसों दूर खड़े ये दोनों राजनीतिक दलों की हार होगी ? आप सभी पढ़ें लिखे समझदार डिग्रीधारी बेरोजगार युवाओं से विनम्र अपील है लोकतंत्र के इस महाकुंभ में भाग लेकर वंशवादी , क्षेत्रवादी, जातिवाद, अवसरवादी, दल-बदल राजनीति को समाप्त करने व अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे कुदरती आदिवासी समाज को जीत दिलाने में अपनी सकारात्मक भूमिका अदा करें।आपके गांव में लालचस्वरुप आदिवासी वोट खरीदने हेतु बांटे जाने वाले दारू,मुर्गा,मटन,पैसा, साड़ी, बर्तन का तत्काल बहिष्कार करें, विरोध करें। क्षेत्र,समाज तथा राष्ट्र की मूलभूत समस्याओं को ध्यान में रखकर वोट करें। सत्ता की हवस लोकतान्त्रिक सिद्धांत तथा शिष्टाचार का नाश कर देती है।”
:राकेश देवडे़ बिरसावादी
(सामाजिक कार्यकर्ता)