राजदार
किसी के छुपाए राज को बेराज करने के लिए,
दोस्तों मजाकों का सहारा नहीं लिया करते।
जिस विश्वाश ने तुम्हे अपना राज अदा किऐ,
उस दोस्त कि आंखों में धोखे के आंसू नहीं दिया करते।।
माना वो राज तुम्हारा अपना राज नहीं,
किसी का भी राज यूं निलाम किया नहीं करते।
माना तू मेरा बचपन का सबसे अच्छा यार है,
तेरी हर गलती पर भी सौ गुनाह इंकार है।
लेकिन जिसकी वजह से पच्चपन तक चल जाती,
क्या मेरा विश्वास इसका भी नहीं हकदार हैं।।
यूं तो गिले शिकवे मैं भी बिसार सकता हूं।
दोस्ती में आई इन दरारों को मिटा सकता हूं।
लेकिन टुटा है जो अटूट विश्वास मेरा दोस्ती से,
इस बात को भला मैं कैसे भूला सकता हूं।।
🥺🥺🥺
आपका अपना
लक्की सिंह चौहान