राखी
भैया मेरा
आया राखी का पावन त्यौहार
लगी मनोहर राखियों की भरमार।
बाजार सारे राखियों से भरे पड़े,
एक से एक सुंदर डिजाइन धरे।
क्या खरीदूँ क्या छोड़ूँ, कुछ समझ ना पाऊँ,
खड़ी-खड़ी भैया का सोच मन में इतराऊँ।
वो तो बाँधे सादा धागा, बस मौली ही चाहूँ,
पूरा साल हाथ में बँधा देख, मैं तो हर्षाऊँ।
मेरा भाई सबसे अनूठा,मुझसे ही खुलवाए,
जाने कैसे राखी से पहले मेरे घर आ जाए।
मौली का वह धागा है राखी का पावन प्रतीक,
सब राखियों से मनोहर , जुग-जुग जीए मेरा वीर ।
नीरजा शर्मा