राखी की बधाई
।।राखी की बधाई।।
ओस के मोतियों की छलकी गगरिया ।
ऊषा रानी ओड़ रश्मि चुनरिया।
आकाश में अरुणाई भर लाई।
शुभ घड़ी, प्यारी बेला है आई।
सबको बधाई राखी है आई।
प्यार की नमी से नम हुए सब मन।
पवित्र सुगंधों से भरा घर आंगन।
चहुंओर फैली तिलक की अरुणाई।
पुष्प सी खिली है भाई की कलाई।
सबको बधाई राखी है आई।
काँटों सी यादें और मन मुटाव ।
दिलों में जो चल रहे जोड़-घटाव।
मगर भूल जा तू वो मन-मुटाई।
पवित्र यह बेला यूँ न जाए गंवाई।
सबको बधाई राखी है आई ।
गुप-चुप सी मुनिया, रुका-झुका सावन।
भाई का नाम आंगन-मनभावन।
पर आज मुनिया से घर में बधाई।
सजी संवरी बहना तैयार भाई।
सबको बधाई राखी है आई ।
मन में कशमकश और उधेड़-बुन।
ससुराल संवार लूं, बस यही धुन।
शब्द हैं चुप आँख में नमी छाई।
व्याकुल बहना! कहाँ मेरा भाई?
आया भाई , तो छूटी रुलाई!
सबको बधाई राखी है आई ।
सबको बधाई राखी है आई ।
।।मुक्ता शर्मा ।।