राखी का कर्ज
राखी का कर्ज
सीमा काफी परेशान थी पिछले काफी समय से उसका भाई परिवार समेत लापता था और उसके साथ ही उसका मायका समाप्त हो गया था क्योंकि उसके मां बाप के निधन के बाद एक उसका भाई ही तो था जिसके पीछे वो अपने मायके में जाती थी अब उसका वो सहारा भी जाता रहा। उसे खुद समझ नहीं आया कि उसके भाई ने अचानक ही उसे बताए बिना अपना पुश्तैनी मकान जिसमें उसके मां बाप की यादें बसी थी, क्यों बेच दिया और फिर न जाने इस शहर को छोड़कर कहां चले गए, वो भी अपनी इकलौती बहन को बताए बिना।
आज राखी के दिन बिना मायके और बिना भाई के एक बार फिर खुद को अकेला पाकर सीमा उदास होकर भगवानजी को राखी बांधने मंदिर गई हुई थी, जहां पूजा करने के बाद वो बाहर बैठे भिखारियों को अपनी ओर से भोजन सामग्री देने लगी उन्हीं भिखारियों में से एक भिखारी का चेहरा उसे कुछ जाना पहचाना सा लगा जिसने एक फटी पुरानी चादर से खुद को ढंक रखा था शायद वो अपना चेहरा छुपा रहा था।
उसके चेहरा छुपाने से सीमा का ध्यान उसकी ओर चला गया और उसने उसके पास बैठे एक बच्चे को देखा जिसे देखते ही उसकी आंखों में आंसू आ गए और रोते हुए वो बोल पड़ी “भईया आप इस हाल में”…….ये सब क्या है और भाभी कहां है किस हाल में है। एक साथ इतने सारे सवाल पूछने से वो बेचारा भिखारी(सीमा का भाई) भी रो पड़ा और उसे रोते देख सीमा उसे और बच्चे को उठाकर अपने साथ मंदिर के भीतर चबूतरे में ले गई जहां बैठाकर अब उसने फिर से वही सवाल करने शुरू कर दिए कि आखिर ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी थी कि तुम अपनी बहन को बताए बिना अपना पुश्तैनी मकान जमीन सब कुछ बेचकर चले गए और अब इस हाल तक पहुंच गए। उसके सवालों को जब उसका भाई टालने लगा तो सीमा थोड़ा सा गुस्सा करके उसे पूछने लगी कि ऐसी कौन सी बुरी लत लग गई थी उसे जो उसका पूरा परिवार बरबाद हो गया था।
अब उसके भाई से रहा नहीं गया और वो रोते हुए बोला बहन जीजाजी ने फोन किया था कि उन्हें बिजनेस में बहुत बड़ा लॉस हो गया है और अगर इसकी भरपाई नहीं हुई तो बिजनेस पार्टनर्स का कर्जा चुकाने में उसकी सारी संपत्ति भी बिक जायेगी तो कम ही होगी। अब उसके पास आत्महत्या करने के सिवाय कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है, इस पर मैंने उन्हें समझाया और उसके लॉस की भरपाई खुद कर देने की बात कही और मैंने अपनी सारी सम्पत्ति बेचकर उनको पैसे दे दिए जिससे जीजाजी अपना कर्ज चुका सकें और तुम्हारा सुहाग सलामत रहे।
सबकुछ चले जाने के बाद हम यहां से दूर कमाने खाने चले गए थे जहां रहकर कठिन परिश्रम और दुखों को छांव में बीमार होकर तुम्हारी भाभी चल बसी और हम दोनों ही रह गए अब मैं भी इतना कमज़ोर हो गया हूं कि इस अपना और इस बेचारे का पेट भरने के लिए भीख मांगने के सिवा कोई चारा नहीं।
अपने भाई के मुंह से ये सब सुनकर सीमा अवाक रह गई थी और उसके मुंह से निकल पड़ा तो उन्होंने भी मुझे कुछ नहीं बताया लेकिन क्यों? अब एक बार फिर उसका भाई बोला किस मुंह से बताते बहन कि उन्होंने सट्टेबाजी में हुए नुकसान को बिजनेस लॉस बताकर ससुराल वालों की सारी संपत्ति बिकवा दी। आज इतने दिनों बाद राखी के समय मुझसे रहा नहीं गया और मैं कम से कम दूर से तुम्हें देखने की लालसा में यहां आ गया।
अब तक सीमा के हाथ अपने भाई के सामने जुड़ गए थे और उसकी आंखों से आंसू बह चले और रोते हुए वो बोली भईया आज अपनी बहन से राखी नहीं बंधवाओगे कहते हुए उसने अपने भाई को राखी बांध दिया। उसके भाई ने लाचार नजरों से सीमा को देखकर कहा कि बहन मेरे पास इस वक्त तुझे देने को कुछ भी नहीं है तो सीमा बोली भईया आज से तुम मुझे कुछ भी नहीं दोगे तुमने तो सारी जिन्दगी भर के लिए राखी का कर्ज चुका दिया है और अब मैं तुम्हारी कर्जदार हो गई हूं। ऐसी बातें करते हुए दोनों भाई बहन काफी देर तक एक दूजे का हाथ थामे रोते रहे और फिर सीमा उन दोनों को अपने साथ अपने घर लेकर चली गई।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़
मो.नं. 9827597473