रहस्यमयी बरसात
प्रकृति के अद्भुत रहस्यों का प्रकटन है बरसात,
यह देती है जीवन को-
नव ऊर्जा और गति
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भर देती है,
नव स्पंदन
भरती है रंग विविध
पर्यावरण में,
और नहला के निर्मल कर दती है
धरा के रोम-रोम को ।
ऋतु चक्र का यह चतुर्मासी प्रतिनिधि
उर्वर बनाती है जीवन को,
और बौराने पर-
उफानती है कल-कल करती नदियों को ।
तोड़ती है मर्यादा भी
ओछी बन यह बरसात,
अकालवृष्टि के प्रचण्ड रूप में
लील लेती है,
तमाम जिन्दगियों को ।
यह रौंद देती है,
असंख्य झोपड़ियों को
और तोड़ती भी है
उन तमाम सपनों को
जो बुनता है एक कृश
तिनके-तिनके जोड़कर।
यह बिखेरती है सोंधी खुशबू
अपनी टप-टप की बूँदों से
और घोलती है चतुर्दिक
जीवन रस को।
सागर, नदियाँ, झीलें और तालाब
सब इतराते हैं
बन जाते हैं कुबेर,
इस बरसात से।
और हाँ-
यह रहस्यमयी बरसात
चुपके से,
कहीं खुशी, कहीं गम के बीच
अपरिहार्य हो जाती है,
सृष्टि के संचालन के लिए।