इक पल जो उनसे मेरी मुलाकात हो गई
ग़ज़ल
इक पल जो उनसे मेरी मुलाकात हो गई।
यादों की साथ देखिए बारात हो गई।।
तुमने लगाई थी जो चमेली पड़ौस में।
महका रही है घर मेरा सौगात हो गई।।
हमराज़ मेरा ही मेरे दुश्मन से जा मिला।
होती तो जीत मेरी मगर मात हो गई।।
फांके से दिन गुज़ारता मुफ़लिस पड़ौस में।
तकसीम शह्र में तेरी ख़ैरात हो गई।।
जो अब्र मुझपे छाये थे बरसे है दूर जा।
प्यासा “अनीस ” ही रहा बरसात हो गई।।
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