रसिया यूक्रेन पर कुंडलियां
छिन्न भिन्न नर अंग है,कौआ चील सियार,
स्वर्ग धरा की दुर्दशा,नर पशु है जिम्मेदार।
नर पशु जिम्मेदार,विश्व युद्ध भी निश्चित है,
रोका नहीं युद्ध,सृष्टि का समापन निशित है।
कह रस्तोगी कविराय,बनाओ न राय भिन्न,
वरना सारी पृथ्वी हो जायेगी ये छिन्न भिन्न।।
विश्व युद्ध की विभिषिका से आशंकित संसार,
टाल सके तो टाल दो,विनती सबसे बारम्बार।
विनती है बारम्बार,विश्व को युद्ध से बचा लो,
बचेगा न मानव,फिर किस पर राज रचा लो।
कह रस्तोगी कविराय,क्यो करते सबको क्रुद्ध,
मानवता के नाते,रोको तुम अब ये विश्व युद्ध।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम