#रतजगा
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★ #रतजगा ★
हृदय जानता तो नहीं तुम्हें पहचानता तो है
स्वप्नलोक की स्वामिनी तुम्हीं यह मानता तो है
सिंहगर्जना लोकवर्जना वामपंथी घात है
सुनी करे कोई अनसुनी मन छानता तो है
चक्रवात में मेरी गीतिका खोजे है सुर और ताल
नहीं जानती विधि का खेल मेरा पता तो है
स्मृतिसागर के तट कनकवर्णी सीपियाँ
घरौंदा रेत का हुआ तो क्या अपना ठिया तो है
मेरे जन्मांग के सप्तमनवम शनिगुरु का योग
तुम नहीं वहाँ तो क्या यहाँ रतजगा तो है
आई चंद्रिका मिलने मुझे चंदा को छोड़कर
नींद अपनी नहीं रही कोई सगा तो है
भूलीबिसरी हुई कहानियां राजाप्रजा की बात
तेरीमेरी एकोदिन उठावनी यथाप्रजा तो है
हृदय जानता तो नहीं तुम्हें . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२