रणचंडी बन जाओ तुम
कूद पड़ो रण में ललना,
फिर दानव हुंकारा है।
छली गई फिर से वल्लभा,
तूने क्यों मौन धारा है।
उठा खड़ग, शमशीर थाम,
पापी को धूल चटाओ तुम।
कृष्ण न आए कलियुग मेंचू
रणचंडी बन जाओ तुम।
कब तक अस्मत लुटवाओगी,
खुद को ढ़ाल बनाओ तुम।
थर्र थर्र कांपे व्यभिचारी,
ऐसा इतिहास बनाओ तुम।
कूद पड़ो रण में ललना,
फिर दानव हुंकारा है।
छली गई फिर से वल्लभा,
तूने क्यों मौन धारा है।