*रजिस्टर्ड बूढ़े हैं अब हम (हास्य गीतिका)*
रजिस्टर्ड बूढ़े हैं अब हम (हास्य गीतिका)
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(1)
साठ साल के हुए कहो, मुखड़ा किस तरह छुपाऍं
किस मुॅंह से कैसे खुद को,अब हम जवान बतलाऍं
(2)
काली डाई से रंगत, बालों की रहे छुपाते
हुए रिटायर अब कैसे, हम अपनी झेंप मिटाएँ
(3)
जबरन लिखा गया क्लब में, बूढ़ों में नाम हमारा
साठ साल वाले जवान, हम कैसे यह समझाएँ
(4)
साठ साल से ऊपर के, अब हम बुजुर्ग कहलाते
सब ने कहा तीर्थ-यात्रा, करने अब केवल जाऍं
(5)
वृद्ध-द्वार से होकर ही, सब साठ वर्ष के जाते
वृद्ध-द्वार से सोच रहे, हम अब कैसे बच पाएँ
(6)
तीस साल की उम्र नहीं, लौटेगी यह तो तय है
‘सठिया गए’ विशेषण को,खुद पर ही चलो लगाएँ
(7)
साठ साल के होने की, मिल रही बधाई हमको
रजिस्टर्ड-बूढ़े हैं अब, हम कैसे खुशी मनाएँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451