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26 May 2024 · 1 min read

रगणाश्रित : गुणांक सवैया

गुणांक सवैया
यह श्री रामनाथ साहू ननकी जी द्वारा नवीन गुणांक छंद है अर्थात इसकी अंकवली उनकी लेखनी ने उगली हैं l इसमें ७ जगण अर्थात जभान –१२१ अर्थात लघु -गुरू -लघु वर्णो की आवृत्ति के साथ पदान्त में दो लघु को स्थान दिया है अतः इसका पदान्त २११ रहेगा जबकि पूर्व नियोजित गुणांक सवैये में पदान्त १२१ है।
जगण की ७ आवृत्ति। पदान्त –१ लघु

२१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२
प्यार संबंध हमेशा रहे टूटते फूल को बात करके रहे लूटते।
पैर छाले भरे घाव चीखे बड़े आतताई रहे देखते हूकते।।
डाल से टूट के फूल नीचे गिरा शूल डाली रहे झूमते झूमते।
एक संबंध था आखिरी साँस में झूमने सा लगा व्योम को चूमते।

प्यार रोता रहा नेम खोता रहा प्यार की याद भी तो सताती रही।
बोलना चंद था मौलना बंद था ये जमीं आसमां को बताती रही।।
पेड़ भी सो गए मौन-सा बो गए मीत की प्रीत भी यूँ रुलाती रही।
आँधियाँ भी चली और तूफान भी पाँव की आहटें भी बुलाती रही।।

वक्त ऐसा रहा जान पे थी बनी वो अकेली खड़ी मुस्कराती रही।
बोल कैसे रहे शोर में खो गए आज की बात पे कस्मसाती रही।।
बोझ के भार से वो दबे से रहे दायरे प्यार के गुनगुनाती रही।
बात भूली नही गाँठ खोली नही बात की बात को सब भुलाती रही

सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777

Language: Hindi
1 Like · 110 Views

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