रखा है
ये दिल उसके नाम कर रक्खा है,
जिसने मेरी नजरो को आराम कर रक्खा है…
अपनी काली निगाहों मे, लगा कर काजल,
उसने मेरे कत्ल का इंतेजाम कर रक्खा है….
उसकी मुस्कुराहट को लिख कर चांदनी,
मैन, उस चाँद का हर किस्सा तमाम कर रक्खा है….
एक उसी का नाम है जो छिपा लिया मैंने,
जिक्र जिसका सर-ए-आम कर रक्खा है…..