रक्षाबंधन पर एक गजल –आर के रस्तोगी
रिश्ते है कई दुनिया में,बहन का रिश्ता खास है
बाँधती है जो धागा बहन,वह धागा कोई खास है
लगाये रखती है बहन टकटकी,रक्षाबंधन के पर्व पर
आयेगा उसका भाई जरुर,उसका यह एक विश्वास है
सजाती है बहन जब थाली,राखी रोली और मिठाई से
लगाती है जब प्यार से टीका,वह प्यार भी खास है
खा लेती है रूखा-सूखा,भले ही वह अपनी जिन्दगी में
रक्षाबंधन के दिन वह बनाती है कोई व्यंजन खास है
बिछड़ जाता है भाई,जब बहन आ जाती है सुसराल में
भाई कितनी भी दूर हो, समझती है वह उसके पास है
छोड देती है पूरा परिवार एक पति के लिये वह सदा
फिर भी लगी रहती बहन को मायके से कोई आस है
आर के रस्तोगी