रक्षाबंधन के शुभअवसर में “सोज” के दोहे
बंधी हुई यह प्यार की, राखी ये अनमोल।
भाई बहन के प्रीत का, रिश्ता है बेमोल।।
रेशम का बंधन यही, बंधा हुआ बेजोड़।
एक दूजे के नेह का, बना रहे यह जोड़।।
भाई बहन के प्यार का, राखी का त्यौहार।
करती बहना प्यार से, माथे तिलक श्रृंगार।।
बंधी कलाई प्यार की, प्रीति यही विश्वास।
कहती बहना भाई से, रहो सदा तुम पास।।
हर बहना भाई से , करती बहुत दुलार।
बांटे खुशियां पर्व की, खूब लुटाए प्यार।।
कवि “सोज” देते वचन, दे खुशियां उपहार।
रक्षक बनकर खड़ा रहूं, बन के कवच आधार।।
प्रियंक खरे “सोज”✍️
स्वरचित व मौलिक दोहे