रक्षाबंधन की कीर्ति
रक्षाबन्धन और उसकी कीर्ति
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आज इस राखी के बन्धन धागे मे छुपी है मेरी बहिन की कीर्ति।
कीर्ति रक्षा के अटूट बन्धन की,
कीर्ति प्रेम और विश्वास की।
आज इस राखी के बन्धन के धागे
मे छुपी है एक भाई के प्रेम की
कीर्ति।
यह बन्धन है प्यार का एक कच्चा
सा धागा किन्तु है कवच बहिन
और भाई के इस अनुपम रक्षा सूत्र का।
इस राखी के शुभ अवसर पर क्या
मै तुम्हें उपहार दूं।
बस मैं इतना ही आशीर्वाद चाहता
हूं एक क्षण भी मेरे कारण
उपहास न हो मेरी बहिन की कीर्ति
कार्तिक शर्मा नितिन