रक्तदान और गगन सा कीर्तिमान।
मौका दीजिये अपने खून को,
किसी और की रगों में बहने का।
ये एक लाजवाब तरीका है,
कई जिस्मों में जिंदा रहने का।
कहानी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की नगरी झांसी जिले के छोटे से कस्बे बरुआसागर के निवासी गगन साहू की है। ये नवम्बर 2013 की बात है। इलाहाबाद में चल रही अपनी पढ़ाई के दौरान साथ पढ़ने वाली सहपाठी छात्रा को अचानक माइग्रेन अटैक आता है। अनजान शहर में छात्रा के पिता द्वारा रक्त के लिए लगभग सारे प्रयास करने के बाद थक हारकर बिटिया के क्लासरूम में प्रवेश किया जाता है। असहाय और हाथ जोड़कर घुटने के बल खड़े होकर रक्तदान के लिये आग्रह किया जाता है, लेकिन लगभग सभी एक दूसरे की ओर देखकर मुंह मोड़ लेते हैं। सभी की निराशा में एक आशा गगन के हाथों से मिलती है, और वह 21 वर्ष का युवा स्वेच्छा से रक्त देने के लिये तैयार हो जाता है। गगन बताते हैं कि पहली बार रक्तदान करने में उन्हें थोड़ा डर जरूर लगा लेकिन रक्तदान के बाद जो खुशी हुई, वो बहुत सारी प्रेरणा देकर गयी। इन सबके बाद बिटिया के पिता के मुंह से बस यही निकलता है कि तुम तो मेरी बेटी के हाकिम (खुदा) हो। उस समय गगन ने प्रथम बार रक्तदान किया था। बस यहीं से कहानी शुरू होती है जो अनवरत जारी है। कभी किसी के इकलौते बच्चे को रक्तदान करने का मौका मिला तो कभी बूढ़े मां बाप के जिस्म में रक्त प्रवाह करने का अवसर, कभी रक्त के लिये ना नहीं की। सुखद परिणाम ये निकला कि रक्तदान में उनका 14 जून को शतक पूरा हो गया है। वह अब तक मात्र 29 साल की छोटी सी उम्र में 100 बार रक्तदान( 31 बार पूर्ण रक्त, 65 बार प्लेटलेट्स व 4 बार प्लाज्मा) कर चुके हैं एवं क्षेत्र के युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बन कर युवाओं के द्वारा 500 से अधिक बार रक्तदान भी करवा चुके है। रक्तदान सबसे बड़ा दान होता है, यह दान धर्म, जाति मजहब से परे सिर्फ इंसानियत को देखता है। रक्त की अहमियत वही व्यक्ति जान सकता है, जिसका कोई अपना परिवार का सदस्य रक्त के बिना जिंदगी और मौत के बीच पाता है । हमारे देश में लाखों लोग रक्त की कमी की वजह से असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। आज हमारा देश इतना आधुनिक होने के बाद भी लोगों को रक्तदान के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक नहीं कर पाया है। वर्तमान में भी में रक्तदान के प्रति लोगों में कई भ्रांतियां फैली हुई है, लोग रक्तदान करने से डरते हैं तथा कतराते हैं। जबकि सभी को पता है कि स्वस्थ मनुष्य के शरीर में हमेशा 5 से 6 लीटर तक रक्त होता है एवं रक्त नियमित रूप से शरीर में बनता रहता है ।
आपके नजदीक भी ऐसे महान धनी लोग मिल जाएंगे जो जीवन में अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं और अकाल मृत्यु से कई लोगों की जान बचा चुके हैं। ऐसे ही एक युवा निशांत साहू हैं, जिन्हें प्यार से लोग गगन भैया के नाम से पुकारते हैं, जो कि देश भर के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत की तरह है।
गगन भैया को समाजसेवा अपने परिवार से विरासत में मिली हुई है, इनके पिता हरी राम साहू नगर के प्रतिष्ठित संगीतकार चित्रकार एवं बहु मुखी प्रतिभा के धनी हैं। यह पूर्व में राष्ट्रीय युवा योजना से लेकर अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़कर राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक कार्य कर चुके हैं । वह वर्तमान में सिविल सर्विसेज की तैयारी एवं घर के व्यवसाय में हाथ बटाने के साथ ही सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं । वह देश के अनेक हिस्सों में जाकर रक्तदान कर चुके हैं। वहीं क्षेत्रीय स्तर पर इनकी विशेष युवाओं की रक्तदाता टीम है, जो कि जरूरतमंद लोगों को रक्त एवं रक्त दाता मुहैया कराती है। उनकी टीम के अनेकों सदस्य ऐसे हैं जो अनेकों बार रक्तदान कर चुके हैं तथा उनकी टीम प्रत्येक बार गणेश महोत्सव के अवसर पर एक विशाल रक्तदान शिविर जिला चिकित्सा अधिकारी के सहयोग से आयोजित कराती है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग रक्तदान करते हैं एवं लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक करते हैं । उनके इस पुनीत कार्य के लिए उनको एवं उनकी टीम को झांसी के जिला अधिकारी, जिला चिकित्सा अधिकारी से लेकर अनेक राजनैतिक एवं गैर राजनीतिक समाजसेवी संगठन सम्मानित कर चुके हैं। जहां एक और लोगों में रक्तदान के प्रति अनेक भ्रांतियां एवं भय रहता है वही गगन भैया एवं उनकी टीम के सदस्य बस एक फोन का इंतजार करते हैं कि किस जरूरतमंद का कब फोन आये और हम उसे रक्तदाता उपलब्ध कराएं। सच में हर कोई चाहता है कि गगन भैया जैसे अनेकों लोग समाज मैं लोगों के लिए प्रेरणा एवं मददगार बनकर अपना जीवन सार्थक बनायें। दुनिया में हर कोई महान बन सकता है लेकिन उसके लिए गगन भैया जैसा नेकदिल एवं दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए क्योंकि वर्तमान में जिस प्रकार से युवा नशाखोरी एवं अन्य व्यस्नों में लिप्त है, वह कहीं ना कहीं देश के सुरक्षित भविष्य के लिये एक प्रश्नचिन्ह बना हुआ है। वही दूसरी ओर असली देश सेवा एवं समाज सेवा गगन जैसे लोग करते हैं एवं अपने जीवन को सार्थक बना लेते हैं। निशांत साहू (गगन भैया) अनेक मंचो से अनेक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं, लेकिन आज भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा पुरस्कार ना मिलने पर स्थानीय लोग आश्चर्य में है ।
जब कोरोनावायरस महामारी काल में काम करने वाले लोगों को पुरस्कृत किया जा रहा था तो गगन जैसे अनेक युवा प्रथम पंक्ति के काबिल थे लेकिन दुर्भाग्य से हमने उस युवा को वो सम्मान और प्रोत्साहन नहीं दिया जिसका वह हकदार था। गगन भैया के इस सराहनीय कार्य पर हम सभी उन्हें दिल से सलाम करते हैं। उम्मीद है आप सभी को यह कहानी प्रेरणाप्रद एवं उत्कृष्ट लगी होगी। पढ़ने के लिये धन्यवाद!