*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सबको खुश रखना उतना आसां नहीं
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
इक सांस तेरी, इक सांस मेरी,
माता पिता के बाद जो कराता है आपके कर्त्तव्यपथ का ज्ञान उसे व
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
सत्य की खोज........एक संन्यासी
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
*** तोड़ दिया घरोंदा तूने ,तुझे क्या मिला ***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
*श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ के गीता-प्रवचन*
जय हो जनता राज की
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
क़दम-क़दम पे मुसीबत है फिर भी चलना है
मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण