Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2019 · 1 min read

रंजिश़

रंजिश़ को रखो दिमाग़ तक दिल तक ना आने दो ।
दिल तक आ गई तो छूटेगी नहीं दाग़ छोड़ जाएगी। जो न मिटेगी वक्त के साथ ग़हराती जाएगी।
ना मिलेगा सुक़ून कभी ज़िदगी में यह हमेशा सोच पर हावी रहेंगी ।
ज़ेहन पर पा़बस्ता सोच को मिटाना मुश्किल नहीं है। पर जो ज़ख्म दिलों पर बनते हैं वो इंतिहा तक मिटते नहीं है।
ज़िदगी में वैसे भी बहुत अल़म है । फिर क्योंकर रंजिश़ों का अल़म पालना।
जिंदगी में बहुत कुछ है करने के लिए ।
फिर क्योंकर जीना उस माहौल में जिसमें बदले की सोच लिये ये जिंदगी दुश़वार हो जाये ।
इंसानी फ़ितरत खुद अपनी तक़दीर लिखती है । फिर क्यों ना सब कुछ भूल कर एक खुश़गवार माहौल में ज़िंदगी बसर की जाये ।
और म़सर्रत के लम्हे ढूँढें जाए।
वरना रंजिश़ों की तप़िश में ज़िंदगी त़बाह करने वाले बहुत देखे हैं ।

194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
फिर क्यूँ मुझे?
फिर क्यूँ मुझे?
Pratibha Pandey
माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
Karuna Goswami
*समय*
*समय*
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2772. *पूर्णिका*
2772. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
दस रुपए की कीमत तुम क्या जानोगे
Shweta Soni
बड़ी तक़लीफ़ होती है
बड़ी तक़लीफ़ होती है
Davina Amar Thakral
#तन्ज़िया_शेर...
#तन्ज़िया_शेर...
*प्रणय प्रभात*
इश्क का तोता
इश्क का तोता
Neelam Sharma
फूलों से भी कोमल जिंदगी को
फूलों से भी कोमल जिंदगी को
Harminder Kaur
तुम बिन जीना सीख लिया
तुम बिन जीना सीख लिया
Arti Bhadauria
अमावस्या में पता चलता है कि पूर्णिमा लोगो राह दिखाती है जबकि
अमावस्या में पता चलता है कि पूर्णिमा लोगो राह दिखाती है जबकि
Rj Anand Prajapati
सुहागन का शव
सुहागन का शव
अनिल "आदर्श"
मिष्ठी का प्यारा आम
मिष्ठी का प्यारा आम
Manu Vashistha
****शिरोमणि****
****शिरोमणि****
प्रेमदास वसु सुरेखा
*जिनके मन में माँ बसी , उनमें बसते राम (कुंडलिया)*
*जिनके मन में माँ बसी , उनमें बसते राम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
एक अध्याय नया
एक अध्याय नया
Priya princess panwar
बात का जबाब बात है
बात का जबाब बात है
शेखर सिंह
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
लहजा
लहजा
Naushaba Suriya
गर्म चाय
गर्म चाय
Kanchan Khanna
उम्र बढती रही दोस्त कम होते रहे।
उम्र बढती रही दोस्त कम होते रहे।
Sonu sugandh
मनवा मन की कब सुने,
मनवा मन की कब सुने,
sushil sarna
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
कहीं भूल मुझसे न हो जो गई है।
surenderpal vaidya
चलना था साथ
चलना था साथ
Dr fauzia Naseem shad
।। परिधि में रहे......।।
।। परिधि में रहे......।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
ईश्वर के नाम पत्र
ईश्वर के नाम पत्र
Indu Singh
*
*"जन्मदिन की शुभकामनायें"*
Shashi kala vyas
दिल का दर्द💔🥺
दिल का दर्द💔🥺
$úDhÁ MãÚ₹Yá
Loading...