रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
काश वो होते मेरे अंगना में
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
तुम्हारे आगे, गुलाब कम है
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Gazal
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पोथी समीक्षा -भासा के न बांटियो।
जिंदगी बंद दरवाजा की तरह है
मैं भी चापलूस बन गया (हास्य कविता)
डिप्रेशन में आकर अपने जीवन में हार मानने वाले को एक बार इस प