“रंग वही लगाओ रे”
“रंग वही लगाओ रे”
रहे प्रेम की बोली होठों पे
हाथों में रंग गुलाल रहे,
चार दिनन की जिन्दगी ये
मन में न कोई मलाल रहे,
द्वेष कपट छल छन्द सभी
अब होली में जलाओ रे,
कभी ना उतरे चढ़कर जो
रंग वही लगाओ रे…।
“रंग वही लगाओ रे”
रहे प्रेम की बोली होठों पे
हाथों में रंग गुलाल रहे,
चार दिनन की जिन्दगी ये
मन में न कोई मलाल रहे,
द्वेष कपट छल छन्द सभी
अब होली में जलाओ रे,
कभी ना उतरे चढ़कर जो
रंग वही लगाओ रे…।