रंग बदलते हम….
रंग बदलते हम …. …
रंग बदलता है मौसम
तो बदलता है रंग
गिरगिट भी….
देखो हमने भी सीख लिया
रंग बदलना….
ये तो चलते
कुदरत के हिसाब से
हमने तो इसे
फितरत बना लिया
कभी मक्कारी के रंग
मे रंग गए
तो कभी बइमानी का
चोला चढ़ा लिया
झूठ और फरेब की
कलाकारी देख तो
रंगरेज भी शरमा गया।
इतना विकृत हुआ कि
अब असली चेहरा याद नहीं
अपनी रचना देख
विधाता भी हो भ्रमित
ऐसा हमने रूप बना लिया।।…………..