रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
रंग अनेक है पर गुलाबी रंग मुझे बहुत भाता
देख गुलाबी रंग मन फूल-सा खिल जाता
गुलाबी पोशाक पहन चेहरा मेरा दमक जाता
हर्ष तन-अंतर्मन में गुलाबी अहसास हो जाता
गुलाबी ठंड, गुलाबी रंग उत्साह उमंग जगाता है
पिया की गुलाबी आदत मुझें इश्क में डुबाता है
बच्चों का गुलाबी शरारत मुझ नेह से भर जाता है
देखा नभ हुई शाम गुलाबी चिर भाव उर समाता है
सांझ शंख,घंटी आवाज से कान्हा में समा जाता है
नयन,अधर,गाल गुलाबी नयन एकटक रह जाता है
समझ सकें मेरे लफ्ज गुलाबी वह अपना हो जाता है।
– सीमा गुप्ता