रंगोली
स्नेह सुसज्जित प्रेम से पूरित रंग भरे हैं रंगोली में।
ऐसे जैसे अबीर गुलाल में कान्हा भीगे होली में।।
लाल रंग ज्यों भाल राधिका चमके बिंदिया चंदा सी,
अधर गुलाबी गाल राधिका मिश्री घोले बोली में।।
स्नेह सुसज्जित प्रेम से पूरित रंग भरे हैं रंगोली में।
ऐसे जैसे अबीर गुलाल में कान्हा भीगे होली में।।
इंद्रधनुष में रंग हैं जितने उतने मेरी रंगोली में।
सुखद मधुर एहसास भरे हैं जैसे मेरे हमजोली में।।
जन्म- जन्म का साथ है साथी तेरा मेरा साँवरे,
सदा मुरारी भरते रहना खुशियाँ मेरी झोली में।।
स्नेह सुसज्जित प्रेम से पूरित रंग भरे हैं रंगोली में।
ऐसे जैसे अबीर गुलाल में कान्हा भीगे होली में।।
पावन, सच्चा, निर्मल रिश्ता बँधा है तुमसे मोली में।
भुला दिए हैं सारे ही गम मैंने हँसी ठिठोली में।।
जीवन रूपी द्यूत क्रीड़ा में संयम मेरा दाव है,
खेलूँ ऐसे; ग्वाल बाल संग जैसे मोहन टोली में
स्नेह सुसज्जित प्रेम से पूरित रंग भरे हैं रंगोली में।
ऐसे जैसे अबीर गुलाल में कान्हा भीगे होली में।।
खन-खन करती हरी चूड़ियाँ मेहंदी रची हथेली में।
अपनेपन के भाव है इसमें जैसे किसी सहेली में।।
पीत वस्त्र और धानी चुनरिया प्रेम- प्रणय फुलकारी है,
श्वेत पुष्प से केश सुसज्जित महकें चंपा चमेली में।
स्नेह सुसज्जित प्रेम से पूरित रंग भरे हैं रंगोली में।
ऐसे जैसे अबीर गुलाल में कान्हा भीगे होली में।।
नीलम शर्मा ✍️