योद्धा वीरनारायण थे
योद्धा वीरनारायण थे
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सिंह गर्जना करते थे,
आग लगाते थे पानी में ।
ऐसे शूरवीर हमारे थे,
देते कुर्बानी जवानी में ।
नागफनी के कांटो से ,
कभी नहीं घबराते थे ।
अंग्रेजों से लोहा लेकर ,
तिरंगा हाथ में लहराते थे ।
सर पे कफन बाँधकर ,
हाथ में धरते भाले थे ।
लड़कर वे दिखा दिए,
देश के वे मतवाले थे ।
मातृभूमि पर मिटने वाले ,
योद्धा वीर नारायण थे।
सोनाखान के लाल ने ,
अपना फ़र्ज निभाए थे।
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रचनाकार डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822