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22 Mar 2018 · 1 min read

ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है

ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
जीवन से नाता तोड़ रहा है
किस किस को याद करू अब मै
ये सबको पीछे छोड़ रहा है
कितनी बीती सुख की राते
कितने सावन भी तो बीते
आशा की लड़िया तोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
कितना निर्मम ये जग भी है
सुख देता है तो देता है
दुःख देता है तो देता है
दुःख सुख का दामन छोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
किसको साथ में लाया था मै
किसको साथ में ले जाऊंगा
केवल कर्मो को जोड़ रहा है
ये ह्रदय साथ अब छोड़ रहा है
कवि प्रशान्त सरल
8416833587

Language: Hindi
432 Views
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