ये साजिश
ये साजिश आज रब ने खूब की है
कली वो केवल अकेली ही खिली है
है मेरी जिंदगी खूब रंगीन लेकिन
केवल एक मात्र तेरी ही कमी है
लगा है आज मौसम आशिकाना
हवा जो उसकी ओर से बह चली है
अलग ही सकशीयत उस आदमी की
सभी ही बाते मुस्कुराते हुई है
चढा खुमार उसको आशिकी का
बहुत समझाया पर नही सुनी है
वो अब नही मिलते जिन्होंने कहा था
तुम्हारा साथ ही तो जिंदगी है