ये सांसे रुकी हैं :-
यह सांसे रुकी हैं, निगाहें झुकी हैं। -२
मगर होंठ क्यों रुक गए कहते – कहते ।-२
यह फूलों से पूछो क्या उनकी खता है।
क्यों भौरा उनके यूं पीछे लगा हैं।।
मगर भौरा क्यों रुक गया पीते- पीते।
मगर —
ये शमां रंगीन है ये मौसम हसीं हैं।
कानों में खामोश हवा में हंसी है।
मगर पत्ते क्यों रुक गए बहते बहते।
मगर-
नदी ताल अक्सर चुप ही बहे हैं।
मजिल न मालूम मौज़ में बहे हैं।
मगर कश्ती क्यूं रेखा रुकी बहते बहते।