ये सलवटे कह रही है,तेरी रात का अफसाना –आर के रस्तोगी
ये चादर की सलवटे कह रही है,तेरी रात का अफसाना
गोरी सच सच बता दे,ये आशिक नया था या पुराना
तू न बतायेगी,ये सलवटे बता देगी सारी बात
किसके साथ गुजारी थी,तूने ये रंगीली रात
ये चादर के धब्बे भी,कुछ सुना रहे है कोई नई बात
सच सच बताओ सहेलियों को छिपाओ न कोई बात
ये पायल,ये बिछ्वे तेरे अफ़साने की गवाही दे रहे है
तेरे साथ क्या हुवा था रात में सब कुछ बता रहे है
तुम क्या समझोगे,एक विरहणी की कैसी बीती ये रात
मेरे पिया मेरे संग ने थे, मै सो न सकी थी पूरी रात
मै करवटे बदलती रही,जगती रही थी उनके इन्तजार में
कब आयेंगे,घड़ी तकती रही बार बार उनके इन्तजार में
ये सलवटे ये धब्बे मेरी रात का अफसाना,बता रही है तुमको
पूरी रात क्या गुजरी मेरे साथ,ये समझा रही है अब तुमको
एक विरहणी के जख्मो पर,क्यों नमक तुम छिड़क रहे हो ?
सलवटो को बहाना लेकर,मुझ पर क्यों तोम्हत लगा रहे हो ?
ये धब्बे, मेरे आंसू थे,जिनको तुम ओर कुछ समझ रहे थे
ये मेरे आंसू काजल के साथ,प्रियतम की याद में बह रहे थे
आर के रस्तोगी
मो 9971006425