ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच…
ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच,
तेरी एक झलक को ज़िया मचले,
जन्नत सी जमीं पे उतर आये,
इक बार अगर तेरा प्यार मिले,
ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच,
तेरी एक झलक को ज़िया मचले।
वादिये बहार भी कहती है,
सबको सबका दिलदार मिले,
कष्टों की कहीं भी जगह न हो,
सुखमय सारा संसार मिले,
ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच,
तेरी एक झलक को ज़िया मचले।
मिश्री सी महक तेरी बातों में,
होठों की हँसी में ‘सुमन’ खिले,
ताजा है याद उन लम्हों की,
जो मिलकर तेरे संग चले,
ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच,
तेरी एक झलक को ज़िया मचले।
एक बार अगर आ जाते यहाँ,
मिट जाते सभी शिकवे औ गिले,
यादों को संजोकर रखता सदां,
लम्हे जो गुजरते तेरी बाहों तले,
ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच,
तेरी एक झलक को ज़िया मचले।
कैसे मैं कहूँ कितनी चाहत,
मन में मेरे, मनमीत पले,
इतना ही कहूँगा जाने जहाँ,
तेरी जाँ के साथ मेरी जाँ निकले,
ये समाँ है सुहाना सनम सचमुच,
तेरी एक झलक को ज़िया मचले।
✍ – सुनील सुमन