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10 Jan 2024 · 1 min read

ये वादियां

ये वादियां, ये फिज़ाऐ बहुत उदास हैं।
दीद तेरी की, देख इनको भी प्यास है।

आंखें रंगीन से रंगहीन ,होने को‌ है आई ।
बेबसी देख मेरी ,किस्मत भी शरमाई।

आसां इतने भी नहीं हैं इश्क के मरहले
आशिक दिन रात ,इसकी आग में जले।

क्यूं इंतज़ार बस इंतजार ही करती रहूं
बैठ सागर किनारे, आंहे मैं भर्ती रहूं।

आरज़ू जुर्म , वफ़ा जुर्म तमन्ना है गुनाह
क्यों इश्क में मैंने किया खुद को फनाह।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 195 Views
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