ये लखनऊ है मेरी जान।
ये लखनऊ है मेरी जान।
सबसे अलग हैं इसकी शान।।
लहज़ा इसका है मीठा।
कहीं मिलती ना ऐसी जुबान।।
चारबाग,अमीनाबाद।
भीड़ से सदा ही रहता जाम।।
भूलभुलैया,इमामबाड़ा।
हो जैसे एक जादू का मकाम।।
सारे संसार में मशहूर है।
यहां की मदहोशी भरी शाम।।
नवाबी है इसकी पहचान।
दूसरा इसका अवध है नाम।।
कोठियों के दीवारों दर पे।
नक्काशी से बने है मेहराब।।
प्यारो खुलुश से भरा है।
हर दिल में बड़ा ही आदाब।।
बड़ा मशहूर है यहां का।
खाने,कपड़े में यह नक्खास।।
क्या कहना मेजबानी में।
खातिरदारी ना भूले मेहमान।।
पहले आप पहले आप में।
बिगड़ जाते है लोगो के काम।।
जाकर देखो रेजिडेंसी में।
बाकी है आजादी के निशान।।
शानो शौकत का ना पूंछों।
शान में दे दी नवाबों ने जान।।
हम पर फिदा लखनऊ है।
इस पर फिदा हमारी ये जान।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ