ये रात पहली जैसी नहीं
ये रात पहली जैसी नहीं
ये ख्वाब अब सुनहरे नहीं
ये चांद अब मेरा नहीं
ये जहां अब मुक्तसर नहीं
ये दिल अब किसी का नहीं
ये रूह अब रूहानी नहीं
पोइट्री खाखोलिया
ये रात पहली जैसी नहीं
ये ख्वाब अब सुनहरे नहीं
ये चांद अब मेरा नहीं
ये जहां अब मुक्तसर नहीं
ये दिल अब किसी का नहीं
ये रूह अब रूहानी नहीं
पोइट्री खाखोलिया