ये बेटियां
1
लक्ष्मी काली दुर्गा का अवतार है ये बेटियाँ,
शेर पर जो जैसे कि सवार है ये बेटियाँ।।
हाथों में लिए तलवार और कटार को,
दुष्टों के संहार को प्रहार है ये बेटियाँ।।
सेना में भी सीमा पे भी लड़ के दिखने को,
दुश्मन को खदेड़ने तैयार है ये बेटियाँ।।
कितने बड़े बेवडे ऐडे राहों में खड़े हो पर,
पार करती है तकरार है ये बेटियाँ।।
सच्ची लाठी बुढ़ापे की बेटियाँ माँ बाप की,
सेवा भाव में तो पारावार है ये बेटियाँ।।
करके पढाई कुछ बन के दिखाई तो,
बोला सारा गाँव जै जै कार है ये बेटियाँ।।
भ्रूण हत्या रोककर समाज ने दिखाया तो,
करने को तैयार चमत्कार है ये बेटियाँ।।
बेटियों को रोको नहीं आने दो संसार में,
मानेगी तुम्हारा उपकार है ये बेटियाँ।।
2
मम्मी पापा दोनों की ही बागों की वो क्यारी है।
आंटी अंकल दादा दादी सबकी दुलारी है।।
कली कली खिले घर आँगन की बगिया तो,
बेटियों से गली गली गूँजे किलकारी है।।
तुतलाति हकलाति बतलाती बतिया जो,
मिश्री सा मीठा रस घोलती जो प्यारी है।।
बेटियाँ चमक रहीं बेटियाँ दमक रहीं,
बेटियाँ सुमन मन अमन फुलवारी है।।
बेटी है तो कल है बेटी बिना हल नहीं,
बेटी से भी आजकल चलती बयारी है।।
कम नहीं मानों कभी बेटियों को बेटों से,
बेटों के समान चढ़े बेटियाँ पहाड़ी है।।
बेटियाँ गगन में गमन कर रही है अब,
हाथों में खड्ग और शेर की सवारी है।।
दुनिया बचाना है तो बेटियाँ बचालो तुम,
बेटियाँ बचाने से ही बचे दुनिया सारी है।।
3
बेटियों को पूरा अधिकार होना चाहिये।
बेटियाँ सभी को ही स्वीकार होना चाहिये।।
हाथों में न हथकड़ी पाँवों में न बेड़ी हो,
बेटियों का खुला सन्सार होना चाहिये।।
आन बाण शान सम्मान अभिमान भी,
बेटी के लिए भी दरकार होना चाहिये।।
बिन बेटी गांव की चौपाल न सजाई जाए,
बेटियों का उसमें शुमार होना चाहिये।।
आफिसो में अधिकारी बने सरकारी वो,
बेटियों से भरी सरकार होना चाहिये।।
कहते हैं कि बिन बेटी घर भी अधूरा है तो,
बेटियों का घर में दीदार होना चाहिये।।
भोली भली बेटी मेरी बहू तेरी बेटी है तो,
बहुओं को बेटियों सा प्यार होना चाहिये।।
– कवि साहेबलाल सरल