‘ ये बेटियाँ ‘
खुशनसीब होते हैं वो लोग जिनके,
घर में मुस्कुराती हैं बेटियाँ।
कुछ नहीं ले जाती माँ-बाप के घर से,
अपनी किस्मत से ही सब कुछ पाती हैं बेटियाँ।
बेटी बनकर रहती हैं दुल्हन बनकर चली जाती हैं,
पहले मायके फिर ससुराल के रिश्तों को निभाती हैं बेटियाँ।
लोग कहते हैं बेटी परायी होती है,लेकिन
परायों को भी अपना बनाती हैं बेटियाँ।
लुटाती हैं प्यार सब पर खुशी से,
अपना हर आँसू छुपाती हैं बेटियाँ।
हो बड़े से बड़ा कष्ट तो क्या?
मुसीबत आने पर भी नहीं घबराती हैं बेटियाँ।
इनके जज्बातों को कभी बेइज्जत न करना,
स्वाभिमान की रक्षा के लिए दुर्गा और काली भी बन जाती हैं बेटियाँ।।
शिवांगी शर्मा
shivangisharma316@gmail.com