ये बीते हूये कल
ये बीते हूये कल
थोड़ा जीना सिखा दें
खोया है बहूत कुच,
अब पाना सिखा दें…
है गुज़ारिश ये मेरी,
मेरे दिल और दिमाग से
बुरे को भूल जाए
पर,मूस्कूराना सिखा दें…
बदल रही है जिंदगी,
वक्त कि रफ्तार से
पतझड़ कि राह पर
चलना सिखा दें…
बढ़ता हूं आगे,
जब,खूद कि तलाश मैं
सच और झूठ का,
बस,सामना करा दें…
करता हूं ग़लती,
मोका सूधारने का दें
ये बिते हूये कल,
थोड़ा जीना सिखा दे