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29 Nov 2016 · 1 min read

ये बात नहीं है सिर्फ़ बताने के लिये

ये बात नहीं है सिर्फ़ बताने के लिये
हम तो उजड़े हैं तुम्हें बसाने के लिये

कसमें ना खाओ जानम जानते हैं सब यहाँ
कसम नहीं खाईं जाती निभाने के लिये

अपनी नींदें खुशियाँ और अरमान दिल के
ले आए ख़ज़ाने तमाम लुटाने के लिये

मैनें माना कोशिश तो बहुत की है मगर
रब्बा राहों से अपनी हटाने के लिये

देखो न सिर्फ़ यारो रुख़ हवाओं का यहाँ
धागा काबिल हो पतंग उड़ाने के लिये

मोहब्बत में अब भी समझ लो दिल की रज़ा
हाथ बढ़ा दो पहला क़दम उठाने के लिये

शहंशाह ना कोई शाह ‘सरु’ यूँ जान लो
उल्फ़त ज़रूरी है दुनियां चलाने के लिये

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