ये प्रश्न किसका है
अख़बार पढ़ते हुए सोचती हूँ –
” कितने मरे ? ”
ये प्रश्न गणित का है
या मानवता का।
ये प्रश्न है हमारी
खोखली तरक्की का।
ये प्रश्न है सरकारों की
लाचारी का।
ये प्रश्न है झूठे
दिखावों का।
ये प्रश्न है प्रकृति का।
ये प्रश्न है मासूमों की
जिंदगी का।
सब जग अब तो
मानवता अपना लो।
ये प्रश्न का हल
मानवता हीं है।
#किसानपुत्री¢शोभा_यादव