!! ये पत्थर नहीं दिल है मेरा !!
मेरा दिल न तुम पत्थर समझो, ये इश्क़ में चलता राही है
जो रक्त बह रहा है तन में, वह इश्क लिखे वो स्याही है
मेरा दिल ना पत्थर………..
(1) कितने लम्हे आए, कितनी सदियों के लम्हे बीत गए
जो डूबे हुए इश्क में थे, वो इश्क की बाजी जीत गए
कितने दिल टूटे बिखर गए, ये इश्क की बड़ी तबाही है
मेरा दिल ना पत्थर………..
(2) मैदान-ए-जंग मोहब्बत की, दिल को हथियार बना जीतो
तुम्हें लगन लगी जिस दिलबर की, उसको सच्चे दिल से चीतो
इतिहास के हो तुम दीवाने, ये जग की तुम्हें गवाही है
मेरा दिल ना पत्थर………
(3) खुद्दारी उन खुदारों की, इतिहास खूब दोहराता है
लैला मजनू थे प्यार भरे, कोई रांझा – हीर बताता है
जो इश्क में मिट कुर्बान हुए, ये उनकी वाही – वाही है
मेरा दिल ना पत्थर………
लेखक :- खैम सिंह सैनी
मो.न. 9266034599
M.A, B.Ed Rajasthan