ये दो नैना जब मिले
ये दो नैना जब मिले,करके दिल-इज़हार।
मन से मन का हो गया,सागर-गहरा प्यार।।
साथी अपना साथ है,जैसे सरग़म-गीत।
हम तुम मिलके यूँ रहें,जैसे मोती-सीप।
बदलें मौसम लाख पर,हम ना बदलें यार।
मन से मन का हो गया,सागर-गहरा प्यार।।
चाहत अपनी हो अमर,बंधें ऐसी डोर।
तू सावन की है घटा,मैं हूँ पागल मोर।
ख़ुशियाँ तेरी जीत में,दूँगा खुद को हार।
मन से मन का हो गया,सागर-गहरा प्यार।।
रुह से रुह ऐसी मिली,दो ज़िस्मों में जान।
इक-दूजे की हो गए,हम दोनों पहचान।
पाकर तुमको पा लिया,मैंने ज़न्नत द्वार।
मन से मन का हो गया,सागर-गहरा प्यार।।
तुमसे रोशन ज़िंदगी,तुम ही मेरा ख़्याल।
अब ना कोई भी रहा,दिल में आज मलाल।
सबसे सुंदर बन गए,मिलके तुम उपहार।।
मन से मन का हो गया,सागर-गहरा प्यार।।
ये दो नैना जब मिले,करकेदिल-इज़हार।
मन से मन का हो गया,सागर गहरा प्यार।।
आर.एस.प्रीतम
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