ये दुनिया थोड़ी टेढ़ी है, तू भी बगल कटारी रख (हिंदी गजल/गीति
ये दुनिया थोड़ी टेढ़ी है, तू भी बगल कटारी रख (हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
ये दुनिया थोड़ी टेढ़ी है, तू भी बगल कटारी रख
जीना है इस जग में यदि तो, दुर्जन से भी यारी रख
(2)
काम अगर अटकेगा कोई, तो नेताजी कर देंगे
यही अकलमंदी है थोड़ी, उनसे रिश्तेदारी रख
(3)
तेरी तरह सभी इस जग में, गम के ही तो मारे हैं
तू अपने होठों पर लेकिन, मुस्कानें मधु जारी रख
(4)
काम किसी दफ्तर में कोई, फोकट में कब होता है
फाइल के अंदर नोटों को, गिनकर थोड़े भारी रख
(5)
जीवन है संघर्ष यहॉं पर, अंतिम क्षण भी चलता है
भले युद्ध जीते या हारे, अगली की तैयारी रख
(6)
मतदाता भी एक झुनझुना, देकर सदा बहलते हैं
इसीलिए झोली में अपनी, वादों भरी पिटारी रख
(7)
बाग-बगीचे कब होते हैं, घर में साधारण जन के
लेकिन गमले में पौधा या, कोई छोटी क्यारी रख
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615451