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27 Aug 2016 · 1 min read

ये तेरा क़र्ज़ है तो क़र्ज़ उतर जायेगा

आसमा छूने जो निकलेगा तो मर जाएगा
तू परिन्दा है हवाओं में बिखर जाएगा
———-
जिसने चाहा है तुझे जान से बढकर जाना
क्या तेरी बज़्म से वो दीदा ए तर जाएगा
———–
दिल मे उठता है तेरा दर्द तक़ाज़ा बन कर
ये तेरा क़र्ज़ है तो क़र्ज़ उतर जाएगा
———–
सांस आयेगी थके हारे मुसाफ़िर जैसी
जब मुझे छोड के तन्हा तू गुज़र जाएगा
———–
तुझको मालूम नहीं नाज़ उठाने वाले
तू किसी रोज़ निगाहों से उतर जाएगा
————
रात आयेगी क़यामत की ठहर जायेगी
दिन निकलेगा खुशी का तो गुज़र जाएगा
———-
ग़ैर मुम्किन है सित्म दिल पे न ढाये सालिब
ऐन मुम्किन है वो वादे से मुकर जाएगा
………..
सालिब चन्दियानवी

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